About author : 1975 में ओड़िशा में जन्मे श्री निर्मल राउत 20 शाल से विलासपुर (छत्तीसगढ़) में रहते है । पेशे से वह भारतीय रेलवे में इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं और बिलासपुर (छत्तीसगढ़) में कार्यरत हैं । लेकिन स्वभाव से वह साहित्यिक विचारधारा वाले व्यक्ति हैं। श्री राउत के अन्य ओड़िआ पुस्तकें – ‘गीताज्ञान’, गलाणि त गला कथा (गुज़रा हुआ ज़माना )’ , ‘चिन्हा अचिन्हा (जाने पहचाने)’, सारस्वत प्रेरणा , भागवत कथा तत्त्व , आदि पाठकों द्वारा लोकप्रिय है।
About book : आज से लगभग 2000 वर्ष पूर्व छत्तीसगढ़ राज्य की धर्मनगरी ‘डोंगरगढ़’ का नाम ‘कामावतीनगर’ था। इस वैभवशाली कामावती नगरी ने सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एवं धार्मिक दृष्टि से प्रसिद्धि प्राप्त की थी । श्री निर्मल राउत द्वारा लिखित ऐतिहासिक उपन्यास ‘कामकंदला’ की कहानी पुष्पावतीपुर के प्रसिद्ध संगीतकार माधवानल और अद्भुत नृत्यागना कामकंदला के बीच असाधारण प्रेम कहानी को लेकर प्रस्तुत है । उस काल की पृष्ठभूमि का अंदाज़ा लगाने के लिए श्री निर्मल राऊत तत् संबन्धित कई पत्रिकाएँ और स्थानीय लोगों से तथ्य प्राप्त किये और आसपास स्नानादि के ऐतिहासिकता का अवलोकन करने केबाद इसे उपन्यास का रूप दिये है।
Reviews
There are no reviews yet.